लीलावती अप्सरा साधना

 

अप्सराएं
 प्रकृति की ऊर्जा शक्तियाँ हैं जिनके गुणों के आधार पर इनके नाम और प्रसिद्धि हैं |यह देवताओं की सहायक शक्तियाँ हैं जो योगिनियों ,भैरवों के स्तर के नीचे की शक्तियाँ हैं और पृथ्वी तथा स्वर्ग के देवताओं के बीच समान सम्बन्ध रख सकती हैं |मुख्य अप्सराओं के अतिरिक्त अनेक अप्सराएं भी हैं जो अलग अलग गुणों के कारण भिन्न कार्य सम्पन्न करती हैं |लीलावती अप्सरा भी इनमे से ही एक है |इनकी प्रकृति प्रेम -सौहार्द्र और शान्ति की है |जिस व्यक्ति के वैवाहिकपारिवारिकसामाजिक जीवन में क्लेश  तनाव की स्थिति उत्पन्न होइस साधना के प्रभाव से उनके वैवाहिकपारिवारिक  सामाजिक जीवन में प्रेम सौहार्द की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं यह एक विशेष साधना है,जिसको सिर्फ चंद्रग्रहण पर ही शुरू किया जा सकता है |लीलावती साधना करने से जीवन मेँ प्रेम सौँदर्य रस और अंनद प्राप्त होता है।कितने ही रुषि ,राजा , तांत्रिक वेदिक काल से ही ऐसी साधना करते  रहे है और इनका उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है |
विधी:-
सिद्धी के बाद लीलावती अप्सरा को जब भी बुलाना है तो बस 21 ,11 बार मंत्र जाप कर ले वह तुरन्त आपके सामने होगी।एक बात चद्रग्रहण आरंभ के समय मंत्र जाप किया जाए तो चंद्रग्रहण खातम होते होते अपसरा दर्शन देगी।
गुलाब का दो माला,मिठाई और कुछ फल अप्सरा चित्र के सामने रख कर प्रतिदिन साधना करे।अगर प्रतिदिन दस हजार जाप किया जाए तो साधना 21 दिन के अंदर पुर्ण हो जाता है।
मंत्र - ।।  हूं हूं लीलावती कामेश्वरी अप्सरा प्रत्यक्षं सिद्धि हूं हूं फट् ।।


विशेष - शेष समस्त विधि तिलोत्तमा अप्सरा साधना अनुसार ग्रहण करें |साधना पूर्व योग्य ज्ञानी से समस्त प्रक्रिया समझ लें |गुरु से अनुमति प्राप्त कर लें और सुरक्षा कवच अवश्य धारण कर ही साधना में प्रवृत्त हों |मात्र लेख देखकर साधना करने न बैठें |किसी अप्रिय स्थिति के लिए हम जिम्मेदार नहीं ,हमारा उद्देश्य मात्र जानकारी उपलब्ध कराना है

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