पवित्र मन से शुद्धासन पर स्थित होकर नित्य कर्मेपरांत देवी देवता के मंत्र का शुद्ध मन से तब तक जाप कारना चाहिए जब तक कि देवी देवता से साक्षात न हो जाए । इस प्रकार कारने से देवी देवता अवश्य ही सिद्ध होती है। ईसमेँ असत्य कुछ भी नहीँ है